Mustard oil benefits and side effects : सरसों तेल का सबसे ज्यादा उत्पादन भारत में होता है और सबसे ज्यादा इस्तेमाल भी इसका यहीं किया जाता है। आज देश की हर घर की किचन में सरसों तेल से खाना पकाया जाता है। यह न केवल भोजन में स्वाद बढ़ाता है, बल्कि सेहत और सुंदरता के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। हालांकि, इसके साथ कुछ नुकसान भी जुड़े हैं, जिनके बारे में जानकारी होना जरूरी है। चलिए नीचे खबर में जानते हैं -
भारतीय घरों में रोजाना खाना पकाने के लिए तेल या घी का उपयोग होता है, जिसमें सरसों का तेल खास महत्व रखता है। सरसों का तेल खाने को न केवल खास स्वादिष्ट बना देता है, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। आयुर्वेद में इसका उपयोग दवाओं और उपचार में भी किया जाता है। डॉक्टर भी सरसों तेल (Mustard Oil) खाने की सलाह देते हैं। कहां जाता है कि सरसों तेल खाने से पैरों का दर्द कम होता है और बालों को घना बनाने में भी सहायक होता है।
लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि रोजाना सरसों के तेल का इस्तेमाल करते समय कुछ सावधानियां जरूरी हैं। इसमें मौजूद इरुसिक एसिड का अधिक मात्रा में सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। हालांकि, इसी वजह से कई देशों में सरसों तेल पर प्रतिबंध है। सरसों तेल के फायदे के साथ साथ इसके कई नुकसान (Mustard Oil Ill Effects) भी होते हैं। जिनके बारे में आपको मालूम होना बहुत जरूरी है। आईये नीचे विस्तार से जानते हैं -
सरसों के तेल के नुकसान
सरसों का तेल (mustard oil) स्वाद और खुशबू के लिए भारतीय रसोई में काफी पसंद किया जाता है, लेकिन इसके अधिक उपयोग से सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। सरसों के तेल में एरिटिक एसिड की उच्च मात्रा पाई जाती है, जो दिल की मांसपेशियों के लिए नुकसानदायक मानी जाती है। लंबे समय तक इसका अत्यधिक सेवन दिल की समस्याओं का कारण बन सकता है। इस तेल का संतुलित उपयोग ही सेहत के लिए फायदेमंद होता है। विशेष रूप से जिन लोगों को दिल की बीमारियों का खतरा है, उन्हें सरसों के तेल का प्रयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए।
इन महिलाओं को नहीं खाना चाहिए सरसों तेल
गर्भवती महिलाओं को सरसों के तेल का अधिक सेवन करने से बचना चाहिए। इस तेल में कुछ रासायनिक यौगिक पाए जाते हैं, जो गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। ज्यादा मात्रा में इसका उपयोग शिशु के विकास में बाधा डाल सकता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर की सलाह के अनुसार तेल का चयन करें और संतुलित मात्रा में ही सेवन करें। यह मां और शिशु दोनों की सेहत के लिए सुरक्षित और फायदेमंद रहेगा।
राइनाइटिस की समस्या
सरसों के तेल (Mustard oil side effects) का खाने में अधिक उपयोग करने से कुछ लोगों में राइनाइटिस की समस्या पैदा कर सकता है। यह स्थिति बलगम की झिल्ली में सूजन के कारण होती है, जिससे खांसी, छींक, नाक बंद होना या नाक से पानी बहने जैसी परेशानियां हो सकती हैं। इस समस्या से बचने के लिए सरसों के तेल का संतुलित मात्रा में सेवन करना जरूरी है। अगर ऐसी लक्षण बार-बार दिखें, तो इस तेल का उपयोग बंद कर डॉक्टर की सलाह लें।
सरसों के तेल से एलर्जी की संभावना
सरसों के तेल का सेवन करने से कुछ लोगों में एलर्जी का कारण बन सकता है। इसके लक्षणों में त्वचा पर खुजली, सूजन या रैशेज शामिल हो सकते हैं। यदि सरसों का तेल खाने के बाद ऐसी समस्याएं दिखाई दें, तो इसका उपयोग तुरंत बंद कर दें। एलर्जी के गंभीर मामलों में यह समस्या बढ़ भी सकती है, इसलिए सतर्क रहना जरूरी है। सरसों के तेल का इस्तेमाल करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपको इससे कोई एलर्जी तो नहीं है। समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें और तेल का उपयोग सीमित मात्रा में करें।
सरसों के तेल की मालिश के नुकसान
अक्सर आपने देखा होगा कुछ लोग सरसों तेल (mustard oil side effects for body) की त्वचा पर मालिश करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि सरसों तेल की त्वचा पर मालिश करने से नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इससे त्वचा पर चकत्ते, खुजली और जलन की समस्या हो सकती है। लंबे समय तक लगातार मालिश करने से त्वचा का रंग गहरा पड़ने या काला होने की संभावना रहती है। कुछ मामलों में, शरीर पर छोटे-छोटे दाने भी निकल सकते हैं, जो असुविधाजनक हो सकते हैं। यदि मालिश के बाद ऐसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, तो सरसों के तेल का उपयोग तुरंत बंद कर देना चाहिए।
यूरिक एसिड बन सकता है खतरा -
रिसर्च में खुलासा हुआ है कि सरसों के तेल में यूरिक एसिड की मात्रा (Amount of uric acid in mustard oil) अधिक (42 प्रतिशत से 47 प्रतिशत) होती है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है। इसका ज्यादा इस्तेमाल करने से दिल और सांस संबंधी बीमारियां, दस्त, एनीमिया, और कैंसर जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। सबसे गंभीर मामलों में यह कोमा या मृत्यु का कारण भी बन सकता है। सरसों के तेल का उपयोग संतुलित मात्रा में करना चाहिए और किसी भी स्वास्थ्य समस्या के संकेत पर डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। इससे जुड़े जोखिमों को नजरअंदाज न करें।
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