कोई भी व्यक्ति जब बैंक में जाता हैं लोन लेने के लिए तो बैंक वाले उसके पेपर्स और डॉक्यूमेंट को देखकर कभी कभी यह कह देते हैं कि उन्हें लोन देने में तो कोई आपत्ति नहीं है लेकिन आप कोई पर्सनल गारंटर ले आइये। अब ऐसे में लोग क्या करते हैं कि अपने फैमिली या फ्रेंड्स में से किसी को बोलते हैं उनके गारंटर बनने के लिए।
वे कहते है कि लोन तो वे ही ले रहे हैं, ईएमआई भी उनके अकाउंट से जाएगी, इंटरेस्ट भी वे ही देंगे, आपको बस अपना पैन कार्ड, आधार कार्ड देना होगा औऱ एक साइन करनी होगी। ऐसे में वो व्यक्ति भी मान जाता हैं।
अब बात यह है कि क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप किसी की गारंटी देते हो बैंक में तो वह जो लायबिलिटी हैं उसका हमारे क्रेडिट रिपोर्ट्स पर क्या असर पड़ेगा। भविष्य में हमारे ऊपर उसका क्या असर पड़ेगा अगर वह लोन डिफ़ॉल्ट हो जाता है या ओवर ड्यू हो जाता हैं तो।
तो सबसे पहले तो आपको बता दे कि कॉन्ट्रैक्ट ऑफ गारंटी जो हैं उसमे सेक्शन 126 ऑफ इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट, 1872 के तहत यह साफ मेंशन किया गया है कि अगर लोन लेने वाला व्यक्ति लोन न चुका पाए या कोई भी डिफ़ॉल्ट होता है तो गारंटी लेने वाले को वो लोन चुकाना पड़ेगा। ऐसे केस में गारंटी लेने वाले व्यक्ति से बैंक रिकवरी करेगा।
अब अगर वह व्यक्ति कहे कि मैं तो फाइनेंसियल गारंटर नही हु नॉन-फाइनेंसियल गारंटर हु तो ऐसा कोई शब्द होता ही नही है। गारंटर का सीधा मतलब ही यह होता हैं कि अगर डिफ़ॉल्ट हो जाये, कोई व्यक्ति लोन चुकाने में असमर्थ हो तो आपको उसकी भरपाई करनी होगी।
अब कुछ लोग ऐसे होते हैं जो जन बुझ कर लोन नही चुकाते और डिफ़ॉल्ट कर देते हैं। ऐसे में बैंक तो गारंटर को ही पकड़ेगा। अब ऐसी स्थिति में आप क्या कर सकते हैं। सबसे पहले तो आप उस व्यक्ति से बात करे कि वो अपना लोन चुका दे। अगर वो व्यक्ति मना कर देता है तो आप सबसे पहले तो लोन के अग्रीमेंट पेपर्स को निकाल लें।
अग्रीमेंट के पेपर्स के आधार पर आप उस व्यक्ति के खिलाफ एफ आई आर भी दर्ज कर सकते हैं। आप उसके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा कर सकते हैं। आपके ऐसा करने से वह व्यक्ति जल्द से जल्द अपना लोन चुकाने की कोशिश करेगा क्योंकिं अगर वह ऐसा नहीं करेगा तो उसे आईपीसी की धारा 420 के तहत अधिकतम सात साल तक के लिए जेल हो सकती हैं और उसे जुर्माना भी भरना पड़ सकता हैं।
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