बिलासपुर. बिलासपुर में ट्रेनों में गांजा तस्करी के मामले में GRP की एंटी क्राइम यूनिट के चार आरक्षकों पर बड़ा एक्शन हुआ है. चारों आरक्षकों मन्नू प्रजापति, सौरभ नागवंशी, संतोष ठाकुर और लक्ष्मण गाइन को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है. चारों फिलहाल जेल में बंद हैं. चारों आरक्षकों को डीजीपी की टीम ने 250 ट्रेनों में रेकी के बाद पकड़ा था. चारों गांजा तस्करों से मिलकर अवैध कारोबार करते थे. चारों के खिलाफ पद का दुरुपयोग करने के आरोप में एक्शन लिया गया है. बिलासपुर एसपी का नेतृत्व में मामले की जांच चल रही है. सभी आरोपियों फाइनेंशियल इन्वेस्टिगेशन में भी पुलिस जुटी है.
इतना ही नहीं, जांच में आरोपी पुलिसकर्मियों के रिश्तेदार के 45 बैंक अकाउंट की जांच की गई. करीब 15 करोड़ रुपये के लेनदेन के रिकॉर्ड मिले हैं. अब इस मामले में GRP के कई बड़े अफसरों के भी शामिल होने की आशंका को बल मिला है. कॉल डिटेल से सरगना और आरक्षकों के संपर्क का खुलासा हुआ है. करोड़ों के लेनदेन और फर्जी अकाउंट का भी पर्दाफाश हुआ है. आरोपी सिपाही लक्ष्मण गाइन करोड़पति निकला है. मामले से जुड़े अब तक 7 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं.
दरअसल, GRP के चारों आरक्षक एसपी के एंटी क्राइम यूनिट में तैनात थे. ट्रेनों में मादक पदार्थ जैसे गांजा, अफीम, शराब तस्करी समेत अवैध हथियार ले जाने वालों पर कार्रवाई की जिम्मेदारी इन चारों को सौंपी गई थी. चारों पुलिसकर्मी रायगढ़ से लेकर रायपुर और राजनांदगांव तक जाकर ट्रेनों में चेकिंग करते थे. चारों को अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्रवाई करने की भी खुली छूट थी. यानी टीआई के बजाए सीधे बड़े अफसरों को रिपोर्ट करने की भी छूट दी गई थी. इसका का फायदा उठाकर सभी आरोपी आरक्षक गांजा तस्करों से खुद मिल गए और अवैध कारोबार करने लगे.
पूरा मामला कुछ इस प्रकार है. 23 अक्टूबर को बिलासपुर जीआरपी में 10-10 किलोग्राम गांजा बरामदगी के दो केस दर्ज हुए थे. जबलपुर निवासी गांजा तस्कर योगेश सौंधिया (39) और उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के तस्कर रोहित द्विवेदी (32) को बिलासपुर रेलवे स्टेशन से गांजे के साथ गिरफ्तार किया गया था.
पूछताछ में योगेश सोंधिया ने पूछताछ में बताया कि वह पिछले एक साल से बिलासपुर में ही किराए के मकान में रह रहा है. जीआरपी थाना आरक्षक लक्ष्मण गाइन, सौरभ नागवंशी, संतोष राठौर और मन्नू प्रजापति के कहने पर ओडिशा से गांजा लाता था. चारों आरक्षकों के संरक्षण में रेलवे स्टेशन में बेचता है. बिक्री की रकम का हिस्सा आरक्षकों को देता था. फिर चारों आरक्षकों के पकड़ने के लिए टीम बनाई गई. आनन-फानन में केस को रेंज साइबर थाने में ट्रांसफर किया गया. साइबर सेल के टीआई राजेश मिश्रा ने चारों को गिरफ्तार किया था.
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