नई दिल्ली: कलियुग के बारे में जब भी बात होती है, तो इस बात का भी काफी जिक्र किया जाता है कि इस दुनिया का अंत आखिर किस तरह होगा। स्कंद पुराण, भविष्य पुराण, भागवत पुराण, विष्णु पुराण सहित कई और अन्य पुराणों में कलियुग का उल्लेख किया गया है।
पुराणों में लिखा हुआ है कि- जब कलियुग धरती पर अपनी चरम सीमा पर होगा, तो उस दिन दुनिया विनाश की ओर अग्रसर होगी और तब भगवान विष्णु धरती पर एक बार फिर से अवतार लेंगे। इसी तरह से ‘भविष्य मालिका’ की भविष्यवाणियां भी कलियुग की कई भविष्यवाणियों में कई बार चर्चा का विषय बन चुकी हैं। आप इस बात को जानकर दंग रह जाएंगे कि भविष्य मालिका’ में लिखी कई भविष्यवाणियां जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी हुई है जो सच हो चुकी हैं। मंदिर परिसर में घटी कुछ घटनाओं से मिले संकेत किसी बड़े महाविनाश की ओर इशारा करते हैं।
वस्त्र में भी लगी आग
बता दें जगन्नाथ पुरी से जुड़ी एक और भविष्यवाणी का जिक्र भविष्य मालिका में किया गया है। इस भविष्यवाणी के अनुसार मंदिर परिसर में त्रिदेव के ऊपर जो कपड़ा है, उस कपड़े में आग लगने की घटना का उल्लेख मिला है। यही घटना जगन्नाथ पुरी मंदिर में कुछ साल पहले घटी थी। पहली बार त्रिदेव के वस्त्र में कुछ साल पहले आग लग गई थी। इस घटना के बाद कलियुग के अंत के बारे में एक बार फिर से बातें होने लगीं।
मंदिर के झंडे में लगी थी आग
9 मार्च 2020 को जगन्नाथ पुरी मंदिर में पापनाशक एकादशी के दिन एक अखंड महादीप जलाया गया था, परंतु मंदिर में अचानक तेज हवा चलने लगी और मंदिर का झंड़ा हवा में उड़कर जलते हुए दीपक के पास चला गया गया। इसके बाद मंदिर के झंडे में अचानक आग लग गई। भविष्य मालिका में झंडे में आग लगने का उल्लेख भी मिलता है। इस घटना के बाद लोगों के बीच ये चर्चा होने लगी कि यह कलियुग के अंत का संकेत है और दुनिया के महाविनाश की ओर इशारा करता है।
गुबंद पर गिद्ध का बैठना
जगन्नाथ मंदिर को लेकर लोगों का मानना है कि जगन्नाथ मंदिर के गुबंद पर दूसरे मंदिरों की तरह कभी कोई पक्षी नहीं बैठता और ना ही इस पर कोई प्लेन, हेलिकॉफ्टर उड़ता हुआ दिखाई देता है, लेकिन जगन्नाथ मंदिर के गुबंद पर जुलाई 2020 के बाद से गिद्ध, चील और बाज को बैठते हुए देखा गया है। गिद्ध, चील और बाज मंदिर के गुबंद, स्तंभ और नीलचक्र पर भी बैठे थे। इस घटना के बाद एक बार फिर से दुनिया के महाविनाश की भविष्यवाणी चर्चा में आ गई थी।
नीलचक्र नीचे झुका था
भविष्य मालिका में लिखी भविष्यवाणियों के अनुसार जब कलियुग का अंत नजदीक होगा तो सुदर्शनचक्र यानी भगवान जगन्नाथ मंदिर का नीलचक्र तूफान से टेड़ा हो जाएगा। इसी तरह समुद्री तूफान फानी के कारण मई 2019 में यह विशालकाय चक्र टेड़ा हो गया था। इस घटना के बाद कहा जा रहा है कि दुनिया के महाविनाश का समय आ चुका है। तब से इस नीलचक्र को ठीक करने की कोशिश भी की गई है लेकिन इसका स्वरूप पहले जैसा नहीं हो पाया है।
गुंबद नीचे गिरेंगे
भविष्य मालिका में इस बात का उल्लेख मिलता है कि जगन्नाथ पुरी मंदिर के गुंबद से नीचे से जब पत्थर गिरेंगे, तो यह इस बात का संकेत होगा कि अब दुनिया का महाविनाश नजदीक आ रहा है। ऐतिहासिक किताबों के अनुसार जगन्नाथ पुरी से 1842 से लेकर अब तक लगभग 15 से 16 बार पत्थर गिरने की घटना हो चुकी है। ऐसे में इस घटना को कलियुग की चरम सीमा और दुनिया के महाविनाश से जोड़कर देखा जाता है।
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