क्या आपको मालूम है कि पांडवों को कैसा भोजन पसंद था. वो नान वेजेटेरियन थे या वेजेटेरियन यानि मांसाहारी या शाकाहारी. वैसे आपको बता दें शोध ये कहती हैं कि महाभारत दौर में लोग दोनों तरह का खाना खाते थे.
जमकर दूध पीते थे. पांडव क्या खाते-पीते थे. उन्हें कौन से व्यंजन पसंद थे. खासकर जब वो निर्वासन में वनवास में रहने गए.
पांडव पूरी तरह से शाकाहारी नहीं थे. उन्होंने निर्वासन के दौरान मांसाहारी भोजन किया और शाकाहाऱी खाना भी. ऐतिहासिक ग्रंथों से पता चलता है कि वे वनवास के दौरान हिरण और अन्य जानवरों का शिकार करते थे, जो उस दौर में क्षत्रियों के बीच आम बात थी. निर्वासन के दौरान उनके खाने में विविधता और बढ़ी. वो इस दौरान जिन क्षेत्रों से गुजरे, जहां रुके, वहां का खाना खाने लगे.
इसमें दोनों तरह के खाने मौजूद थे यानि वेजेटेरियन भी और नान वेजेटेरियन भी. वनवास के दौरान उन्होंने तालाब और नदियों से खूब मछलियां पकड़ीं. शिकार किए. खाना उनकी रसोई में बनता था. जिसे बनाने का कभी पांडव खुद करते थे तो कभी द्रौपदी रसोई सजाती थीं. हम आपको आगे बताएंगे कि वो कौन से खाने थे, जो उन्हें पसंद थे, ये वेज थे या नानवेज, ये भी जानेंगे.
मुर्गी और मछली खाते थे महाभारत में उनके आहार के हिस्से के रूप में मुर्गी और मछली सहित विभिन्न मांसाहारी व्यंजनों का उल्लेख है. प्राचीन भारत में मिश्रित भोजन होता था यानि शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के. अनुष्ठानों और खास कार्यक्रमों में मांसाहारी खाना पकता था.
पांडव मांसाहार का सेवन करते थे. जब वह निर्वासन के दौरान जंगलों में रहे तो वहां उन्होंने शाकाहार के साथ मांसाहार का भी सेवन किया. (image generated by Leonardo AI)
हिरण भी शिकार करके खाया पांडवों का भोजन मिश्रित था, जिसमें शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के खाद्य पदार्थ शामिल थे. वनवास में वो फलों, जड़ों से जुड़े खाद्य पदार्थ और अनाज भी खाते थे. ऐतिहासिक ग्रंथों से पता चलता है कि वे शिकार भी करते थे. मांस भी खाते थे. वनवास के दिनों में उन्होंने मुख्य रूप से हिरण का मांस खाया और मछलियों का सेवन किया.
शिकार से काफी आहार जुटाते थे हिरण के अलावा ये भी संभावना है कि उन्होंने अन्य खेल जानवरों और शायद मुर्गी का भी सेवन किया. महाभारत में उल्लेख है कि पांडव कुशल शिकारी थे, जिसने उन्हें जंगल में रहने के दौरान शिकार से भोजन के लिए काफी आहार जुटाया.
अक्षयपात्र भी देता था मनचाहे खाने महाभारत में बताया गया है कि युधिष्ठिर को सूर्य देव ने एक अक्षय पात्र भेंट किया था, जो मांस सहित मनचाहे और भरपूर भोजन देता था.
पांडवों ने वनवास के दौरान हिरण का खूब शिकार किया और तालाब से मछलियां पकड़ीं. फिर भोजन में इनके व्यंजन बनाकर उन्हें भोजन में शामिल किया. (image generated by Leonardo AI)
राजसूर्य यज्ञ के दौरान भोज में मांस सहित कई व्यंजन परोसे गए जब युधिष्ठिर ने राजसूर्य यज्ञ किया तो पांडवों ने कई राजाओं और गणमान्य व्यक्तियों को आमंत्रित किया. भोज में मांस सहित कई तरह के व्यंजन थे. तब महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में मांस का भोजन जरूर होता था.
पांडव के पसंद के खाने क्या थे कहा जाता है कि सफल शिकार के बाद या त्योहारों के दौरान पांडव बड़े भोज खुद तैयार करते थे जिसमें मांस के व्यंजन शामिल होते थे. द्रोण पर्व और अभिमन्यु बड़ा पर्व में इसकी जानकारी मिलती है. महाभारत में भोजन के लिए कई जानवरों के वध का उल्लेख है, विशेष रूप से शाही रसोई में.
पांडवों को कुछ खास तरह के मांस पसंद थे, खासतौर पर खास मौकों और दावतों के दौरान. भीम अपनी अत्यधिक भूख के लिए जाने जाते थे, मांस के विशेष शौकीन थे.
हिरण का मांस - महाभारत में सबसे ज़्यादा संदर्भित मांस हिरण है, जिसका शिकार पांडवों ने अपने वनवास के दौरान किया था. हिरण का मांस न केवल मुख्य भोजन था, बल्कि इसे एक स्वादिष्ट व्यंजन भी माना जाता था, खास तौर पर जब इसे सामूहिक दावतों के लिए तैयार किया जाता था. मुर्गी और मछली - पांडव कई तरह की मुर्गी और मछली भी खाते थे. महाभारत में उल्लेख है कि वे इन मांस से बने व्यंजनों का आनंद लेते थे, जो दिखाता था ये समारोहों और उत्सवों के दौरान उनके आहार का हिस्सा थे. क्षेत्रीय खाने- पांडवों ने विभिन्न राज्यों की यात्रा करते समय स्थानीय खानों का भी आनंद लिया. उदाहरण के लिए, काबुली पुलाव और गुजराती कढ़ी जैसे व्यंजनों का उल्लेख उनके द्वारा खाए जाने वाले विविध व्यंजनों के रूप में किया जाता है.
भीम को कौन सा खाना पसंद था भीम को मांस बहुत पसंद था, खास तौर पर हिरण. ये मांस खाने की क्षत्रिय परंपरा से मेल खाता है. वह खीर खूब खाते थे. महाभारत में ऐसे उदाहरण हैं जहाँ उन्होंने बहुत ज़्यादा मात्रा में खीर खा ली.
भीम को अवियल बनाने का श्रेय दिया जाता है, जो इमली और नारियल की ग्रेवी में कई तरह की सब्ज़ियों से बनी एक दक्षिण भारतीय सब्जी है. कहा जाता है कि इस व्यंजन की उत्पत्ति तब हुई जब उन्हें राजा विराट के वनवास के दौरान उनके अप्रत्याशित मेहमानों के लिए खाना बनाना पड़ा. भीम लड्डू - उनसे जुड़ा एक और व्यंजन "भीम लड्डू" है, जो देसी घी और सूखे मेवों से बनी एक बड़ी मिठाई है, जिसे उनकी ताकत का स्रोत माना जाता है.
बहुत अच्छा खाना बनाते थे भीम भीम पांडवों के निर्वासन के दौरान एक कुशल रसोइया बन गए. अपने भाइयों और मेहमानों के लिए भोजन तैयार करने की उनकी क्षमता ने रसोई में उनकी एक्सपर्टीज साबित की. वह खाना बनाने में काफी क्रिएटिव थे. इसमें प्रयोग करते रहते थे.
उस दौर में क्या थीं खान-पान की आदतें महाभारत काल के दौरान खान-पान की आदतों पर शोध से पता चलता है कि उस दौर में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के खाद्य पदार्थ भोजन में शामिल रहते थे. अनाज खानों में इस्तेमाल होता था. मुख्य अनाज जौ और चावल थे. दूध खूब पिया जाता था. उससे घी बनाया जाता था. अन्य अनाजों में गेहूं, बाजरा और उड़द (माशा) और मूंग (मुदगा) जैसी दालें भी होती थीं और लोग इन्हें खाते थे, दूध, दही और घी खाने में इस्तेमाल होता था. आर्यों और गैर-आर्यों दोनों के बीच मांस खाने की व्यापक सांस्कृतिक परंपराओं का भी उल्लेख है. तब जानवरों से लेकर पक्षियों और मछलियों सहित विभिन्न मांस का सेवन किया जाता था. धर्म सूत्र इस बात की जानकारी देते हैं कि कौन से मांस अनुमेय या निषिद्ध थे.
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