Breaking News

अपराजिता जिसे कोई रोग पराजित नही कर सकता, ये 2 महीने में सफ़ेद दाग़ तो 2 खुराक में पीलिया और साँप का ज़हर उतारता है, चेहरे की झाँइयों और माइग्रेन के लिए किसी वरदान से कम नही- -

अपराजिता जिसे कोई रोग पराजित नही कर सकता, ये 2 महीने में सफ़ेद दाग़ तो 2 खुराक में पीलिया और साँप का ज़हर उतारता है, चेहरे की झाँइयों और माइग्रेन के लिए किसी वरदान से कम नही- -

नमस्कार दोस्तों आपका फिर से स्वागत है आज हम आपको ऐसे चमत्कारी पौधे के बारे में बताएँगे जो रोगों को पराजित अर्थात हराता है इसीलिए इसे अपराजिता कहते है। अपराजिता ( Megrin) बहुत सामान्य सा पौधा है इसके आकर्षक फूलों के कारण इसे लान की सजावट के तौर पर भी लगाया जाता है।

इसकी लताएँ होती हैं, ये इकहरे फूलों वाली बेल भी होती है और दुहरे फूलों वाली भी फूल भी दो तरह के होते हैं। नीले और सफ़ेद आप लोग अपने घरों में सफ़ेद फूलों वाली अपराजिता ही लगाएं क्योंकि यही सांप के ज़हर की दुश्मन है। अपराजिता, विष्णुकांता गोकर्णी आदि नामों से भी जानी जाने वाली सफेद या नीले रंग के फूलों वाली लता है जो सुंदरता के लिए पार्कों और बगीचों में लगाई जाती है। इसमें बरसात के सीजन में फलियां और फूल लगते हैं।

1. साँप का ज़हर

  • अगर सांप के विष का असर चमड़ी के अन्दर तक हो गया हो तो अपराजिता की जड़ का पावडर 12 ग्राम की मात्रा में घी के साथ मिला कर खिला दीजिये।
  • सांप का ज़हर खून में घुस गया हो तो जड़ का पावडर 12 ग्राम दूध में मिला कर पिला दीजिये।
  • सांप का जहर मांस में फ़ैल गया हो तो कूठ का पावडर और अपराजिता का पावडर 12-12 ग्राम मिला कर पिला दीजिये।
  • अगर इस जहर की पहुँच हड्डियों तक हो गयी हो तो हल्दी का पावडर और अपराजिता का पावडर मिलाकर दे दीजिये।
  • दोनों एक एक तोला हों अगर चर्बी में विष फ़ैल गया है तो अपराजिता के साथ अश्वगंधा का पावडर मिला कर दीजिये और सांप के जहर ने आनुवंशिक पदार्थों तक को प्रभावित कर डाला हो तो अपराजिता की जड़ का 12 ग्राम पावडर ईसरमूल कंद के 12 ग्राम पावडर के साथ दे दीजिये। इन सबका 2 बार प्रयोग करना काफी होगा। लेकिन सांप के विष की पहुँच कहाँ तक हो गयी है ये बात कोई बहुत जानकार व्यक्ति ही आपको बता पायेगा।
  • मेडिकल साइंस तो कहता है कि ज़हर की गति सांप की जाति पर निर्भर करती है लेकिन वे सांप जिन्हें जहरीला नहीं माना जाता जैसे पानी वाले सांप उनका जहर वीर्य तक पहुँचने में 5 दिन का समय ले लेता है और आने वाली संतान को प्रभावित करता है अतः सांप के ज़हर का निवारण जरूर कर लेना चाहिए।

13. चेहरे की झाँइयां :

  • मुंह की झांईयों पर अपराजिता की जड़ की राख या भस्म को मक्खन में घिसकर लेप करने से मुंह की झांई दूर हो जाती है।

1. सिरदर्द :

  • अपराजिता की फली के 8-10 बूंदों के रस को अथवा जड़ के रस को सुबह खाली पेट एवं सूर्योदय से पूर्व नाक में टपकाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है। इसकी जड़ को कान में बांधने से भी लाभ होता है।

13. श्वेतकुष्ठ (सफेददाग) :

  • श्वेत कुष्ठ पर अपराजिता की जड़ 20 ग्राम, चक्रमर्द की जड़ 1 ग्राम, पानी के साथ पीसकर, लेप करने से लाभ होता है। इसके साथ ही इसके बीजों को घी में भूनकर सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से डेढ़ से 2 महीनेमें ही श्वेत कुष्ठ में लाभ हो जाता है।

22. त्चचाकेरोग :

  • अपराजिता के पत्तों का फांट (घोल) सुबह और शाम पिलाने से त्वचा सम्बंधी सारे रोग ठीक हो जाते हैं।

4. पीलिया :

  • पीलिया, जलोदर और बालकों के डिब्बा रोग में अपराजिता के भूने हुए बीजों के आधा ग्राम के लगभग महीन चूर्ण को गर्म पानी के साथ दिन में 2 बार सेवन कराने से पीलिया ठीक हो जाती है।

2. आधाशीशीयानीआधेसिरकादर्द (माइग्रेन) :

  • अपराजिता के बीजों के 4-4 बूंद रस को नाक में टपकाने से आधाशीशी का दर्द भी मिट जाता है।

Note : यहाँ जिन भी औषधियों के नाम आए है ये आपको पंसारी या कंठालिया की दुकान जो जड़ी-बूटी रखते है, उनके वहाँ मिलेगी।

0 Comments

Advertisement

Type and hit Enter to search

Close