Breaking News

कौंच के बीज को बुढ़ापे तक जवान बनाकर रखेंगे, कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, पार्किंसंस में भी अचूक रामबाण औषिधि है.,.

कौंच के बीज को बुढ़ापे तक जवान बनाकर रखेंगे, कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, पार्किंसंस में भी अचूक रामबाण औषिधि है

कपिकच्छू/कौंच/केवांछ (Cowage) : कपिकच्छू/कौंच/केवांछ का सामान्य परिचय :

कौंच लता जाति की वनस्पति है । जो सूक्ष्म में रोमो से युक्त होती । यह वर्षांत में उत्पन्न होती है यह गांव के बाहर बागों एवं जंगलों में किसी झाड़ी या वृक्ष पर फैली हुई होती है इसका पत्र विषम एवं सेम के पत्तों के समान प्रत्येक पत्र दंड पर 3 की संख्या में होते हैं पुष्पा नीलाभ है रक्त वर्ण के या श्वेत वर्ण के जूतों में होते हैं ।इसकी फली 2 से 3 इंच लम्बी 1/2 इंच चौड़ी तथा इसके दोनों ओर के अग्रभाग एक दूसरे के विपरीत दिशा में मोटे होते हैं ।यह भूरे रंग की सूक्ष्म सघन व मजबूत रोमो से आवृत होती है। यह रोम शरीर में लगने पर अति तीव्र खुजली के साथ दाह एवं शोथ उत्पन्न हो जाता है। बीज प्रत्येक फली में 5 से 6 काले चमकीले रंग के बीज होते है। 

कौंच के पौधे के सभी भागों में औषधीय गुण होते हैं। इस की पत्तियों, बीजों व शाखाओं का इस्तेमाल दवा के तौर पर किया जाता है. ज्यादातर कौंच का इस्तेमाल लंबे समय तक से*क्स की पॉवर बरकरार रखने के लिए किया जता है। कौंच के बीज वि*यग्रा से भी 10 गुना ज्यादा शक्तिशाली होते है, चाहे लिं*ग कमजोर, वी*र्य पतला, न*पुंसकता या शी*घ्रपतन हो सभी का रामबाण उपाय कौंच है।

जिन खिलाडि़यों की मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है, तो उन के लिए भी कौंच का इस्तेमाल मुफीद होता है। इस के बीजों के इस्तेमाल से याद रखने की कूवत बढ़ती है। वजन बढ़ाने में भी कौंच का इस्तेमाल कारगर साबित होता है। इस के अलावा गैस, दस्त, खांसी, गठिया दर्द, मधुमेह, टीबी व मासिकधर्म की तकलीफों के इलाज के लिए भी कौंच के बीजों का इस्तेमाल किया जाता है। कौंच के बीजों में निम्न रोगों को दूर करने की कूवत होती है :

  1. दर्द
  2. पेट की तकलीफें
  3. मधुमेह
  4. बुखार
  5. खांसी
  6. सूजन
  7. गुर्दे की पत्थरी
  8. गैस की समस्या
  9. न*पुंसकता

लिं*ग और नसों की कमजोरी यौ*न संबंधी परेशानियांकौंच को कपिकच्छू और कैवांच वगैरह नामों से भी जाना जाता है. आयुर्वेद में इसे यौन कूवत बढ़ाने वाली दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। से*क्स कूवत बढ़ाने के लिए इस के बीज बेहद कारगर होते हैं। कौंच का इस्तेमाल मर्दों व औरतों की हमबिस्तरी की ख्वाहिश में इजाफा करता है। यह न*पुंसकता दूर करने में मदद करती है। 

रासायनिक संगठन : इसमें राल, टेनिन,वसा एवम मैगनीज रहता है।

  • गुण :  गुरु ,स्निग्ध।
  • रस : मधुर , तिक्त।
  • वीर्य : उष्ण । 
  • विपाक : मधुर । 

कपिकच्छू/कौंच/केवांछ का विभिन्न रोगों में प्रयोग :

कौंच के बीज पोस्टिक उत्तेजक वाजीकरण एवं वातशामक होते हैं केंचुए को निकालने के लिए इसके रोमो को वृत मधु या गुड़ के साथ गोली बनाकर खिलाते है। इसके पश्चात विरेचक औषधि अवश्य देते हैं जिससे केंचुए निकल जाते है।

केवांच के पत्ते को कालीमिर्च के साथ पीसकर पिलाने से उदर कृमि नष्ट होते है। धातु पुष्टि के लिए बीज चोरों ने तालमखाने के चूर्ण को मिश्री मिलाकर ताजे दूध के साथ देते हैं इसकी जड़ों को मुख में रखकर चूसने से शीघ्रपतन नहीं होता हैं। बीज चूर्ण व गोक्षुर चूर्ण दोनों समान भाग लेकर ठंड के साथ मिलाकर दूध से लेने से यह है धातु पुष्ट करता हैं।

तीव्र ज्वर में मूल चूर्ण को शहद यहां गर्म जल से देने से दाह शांत होता है एवं ज्वार कम होता है। इसके जड़ का स्वरस या क्वाथ स्नायु दौर्बल्य अंगघात ,अर्दित आदि वात रोग में लाभ करता है।

कौंच के बीज, सफेद मूसली और अश्वगंधा शीघ्रपतन के देसी इलाज के लिए कौंच के बीज, सफेद मूसली और अश्वगंधा के बीजों को बराबर मात्रा में मिश्री के साथ मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। फिर एक चम्मच चूर्ण सुबह और शाम एक कप दूध के साथ लेने से शी*घ्रपतन और वी*र्य की कमी जैसे रोग दूर हो जाते हैं।कपिकच्छू/कौंच/केवांछ का उपयोगी भाग (प्रयोज्य अंग) : बीज, मूल एवं पत्र ।

बीज चूर्ण सेवन मात्रा : 2 से 6 ग्राम तथा रोम 250 मि. ग्राम की मात्रा में। मूल क्वाथ 5 से 10 तोला । आयुर्वेदीक स्टोर पर उपलब्ध विशिष्ठ योग : वानरी गुटिका, माषवलादि पाचन आदि । कौंच के बीजों का इस्तेमाल :

  कौंच के बीजों का इस्तेमाल करने के लिए उन को दूध या पानी में उबाल कर उन के ऊपर का छिलका हटा देना चाहिए। इस के बाद बीजों को सुखा कर बारीक चूर्ण बना लेना चाहिए। इस चूर्ण की 5 ग्राम मात्रा को मिश्री व दूध में मिला कर रोज सुबह-शाम इस्तेमाल करने से मर्दों के अंग का ढीलापन और शी*घ्रपतन का रोग दूर होता है। कौंच के बीजों के साथ सफेदमूसली और अश्वगंधा के बीजों को बराबर मात्रा में मिश्री के साथ मिला कर बारीक चूर्ण तैयार कर के सुबहशाम 1 चम्मच मात्रा दूध के साथ लेने से मर्दों की तमाम से*क्स संबंधी दिक्कतों को दूर किया जा सकता है।

कौंच के बीजों के साथ शतावरी, गोखरू, तालमखाना, अतिबला और नागबला को एकसाथ बराबर मात्रा में मिला कर बारीक चूर्ण तैयार कर के इस चूर्ण को मिश्री मिला कर 2-2 चम्मच चूर्ण सुबह और शाम के वक्त दूध के साथ रोज लेने से मर्द के अंग की कूवत बढ़ती है।

  सोने से 1 घंटा पहले इस चूर्ण को कुनकुने दूध के साथ लेने से जिस्मानी संबंध बेहतर होते हैं।

कौंच के बीजों के साथ उड़द, गेहूं, चावल, शक्कर, तालमखाना और विदारीकंद को बराबर मात्रा में ले कर बारीक पीस कर दूध मिला कर आटे की तरह गूंध कर इस की छोटी-छोटी पूडि़यां बना कर गाय के घी में तलें। इन पूडि़यों को दूध के साथ खाने से भी किसी भी तरह की शारीरिक कमजोरी में काफी फायदा होता है। 100-100 ग्राम कौंच के बीज, शतावरी, उड़द, खजूर, मुनक्का, दाख व सिंघाड़ा को मोटा पीस कर 1 लीटर दूध व 1 लीटर पानी मिला कर हलकी आग में पकाएं। गाढ़ा होने पर आंच से उतारें और ठंडा होने पर छानें। इसमें 300-300 ग्राम चीनी, वंशलोचन का बारीक चूर्ण और घी मिलाएं। इस मिश्रण की 50 ग्राम मात्रा में शहद मिला कर रोजाना सुबहशाम खाने से बल बढ़ता है। जो वैवाहिक जीवन के साथ-साथ दैनिक कार्यशैली के जीवन में भी आपके शरीर को फौलाद बना देगा जिससे आपको कभी थकान और कमजोरी महसूस नही होगी।

10-10 ग्राम धाय के फूल, नागबला, शतावरी, तुलसी के बीज, आंवला, तालमखाना व बोलबीज, 5-5 ग्राम अश्वगंधा, जायफल व रुद्रंतीफल, 20-20 ग्राम सफेदमूसली, कौंच के बीज व त्रिफला और 15-15 ग्राम त्रिकुट व गोखरू को एकसाथ मिला कर चूर्ण बना लें। इस के बाद इस मिश्रण को 16 गुना पानी में मिला कर उबालने पर जब पानी सूख जाए तो उस में 10 ग्राम भांगरे का रस मिला कर दोबारा उबालें और जब मिश्रण गाढ़ा हो जाए तो इसे आंच से उतारें और ठंडा कर के कपड़े से अच्छी तरह मसल कर छान लें और सुखा कर व पीस कर चूर्ण बनाएं। इस चूर्ण में 20 ग्राम शोधी हुई शिलाजीत, 1 ग्राम बसंतकुसूमार रस और 5 ग्राम स्वर्ण बंग मिलाए। इस मिश्रण की आधा ग्राम मात्रा शहद के साथ मिला कर सुबह-शाम चाट कर उस के बाद दूध पीना बेहद फायदेमंद होता है। इस औषधि के सेवन से मर्द के बल और सम्भोग शक्ति में इजाफा होता है। इस औषधि को लेने के दौरान तेज मिर्चमसाले वाली, तली हुई व खट्टी चीजें नहीं खानी चाहिए। कौंच के अन्य लाभ :  कौंच तनाव और चिंता को दूर करती है. यह खासतौर पर यौन ग्रंथियों को मजबूती प्रदान करती है. यह तंत्रिकातंत्र के लिए एक खास पोषक तत्त्व के रूप में काम करती है।

तंत्रिकातंत्र संबंधी परेशानियां : कौंच तंत्रिकातंत्र संबंधी परेशानियों के लिए एक खास दवा के रूप में इस्तेमाल की जाती है। यह पार्किसंस रोग में भी इस्तेमाल की जाती है।

कोलेस्ट्राल और ब्लडशुगर : कौंच कोलेस्ट्राल कम करने की एक खास दवा है, साथ ही यह ब्लडशुगर के स्तर को सही करने के लिए फायदेमंद दवा है। इस के अलावा यह एक मानसिक टानिक के रूप में भी कारगर होती है।

0 Comments

Advertisement

Type and hit Enter to search

Close