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भिखारी बनकर बनाया छोटे बच्चों को निशाना, डायरी में लिखता था गिनती… किया ऐसा गुनाह कि मिली 1800 साल की सजा

He targeted small children by becoming a beggar, used to write counts in his diary... he committed such a crime that he was sentenced to 1800 years of imprisonment
He targeted small children by becoming a beggar, used to write counts in his diary... he committed such a crime that he was sentenced to 1800 years of imprisonment

नई दिल्ली: वो ठंड भरी एक रात थी। कोलंबिया के एक छोटे से कस्बे में घना अंधेरा पसरा हुआ था। गलियों में सिर्फ सन्नाटा और हवा की सरसराहट सुनाई दे रही थी। अचानक कहीं दूर से एक हल्की सी आवाज आई, मानो किसी ने अपने पैरों को जमीन पर घसीटा हो, ये शैतानी परछाई कोई और नहीं, बल्कि लुइस गारावितो था। एक ऐसा नाम, जो लोगों के दिलों में अब तक खौफ की तरह गूंजता है। उस रात, जब बच्चे बिस्तर में दुबके हुए अपनी-अपनी मां के पास सो रहे थे, तब भी कोलंबिया की हवाओं में एक दबी हुई चीख घुली हुई थी।

गारावितो, जिसे उस वक्त ‘ला बेस्टिया’ यानी ‘दरिंदा’ कहा जाता था, वो शैतानी परछाई बनकर 150 से ज्यादा मासूम बच्चों की जिंदगियों से खेल चुका था। उसे पकड़ा गया, सैकड़ों साल की सजा हुई और तब जाकर कोलंबिया ने राहत की सांस ली। रिपोर्ट्स के अनुसार, गारावितो कोलंबिया के इतिहास का सबसे कुख्यात और भयावह सीरियल किलर था। उसने 150 से ज्यादा मासूम बच्चों की जिंदगियों को मटियामेट कर दिया।

वह बच्चों को अपने जाल में फंसाने के लिए कभी भिखारी बन जाता था, तो कभी कोई साधु या भला इंसान। एक मीठी मुस्कान, कुछ पैसे और एक सॉफ्ट ड्रिंक का लालच देकर वो बच्चों को सुनसान जगहों पर ले जाता था। वहां से जो दर्दनाक कहानियां शुरू होतीं, उनकी दहशत को शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। पहले वो बच्चों का यौन शोषण करता, फिर उन्हें टॉर्चर करता और अंत में उनका गला काट देता।

16 साल की उम्र में छोड़ दिया घर लुइस अल्फ्रेडो गारावितो की जिंदगी एक दुखद कहानी से शुरू हुई थी, लेकिन उसने जो भयानक रास्ता चुना, उसने उसे मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन बना दिया। 25 जनवरी 1957 को कोलंबिया में जन्मा गारावितो सात भाई-बहनों में सबसे बड़ा था और बचपन से ही अपने पिता मैनुअल एंटोनियो की क्रूरता का शिकार बन गया। उसके पिता ने उसे मार-पीट कर और अपमानित करके उसका मानसिक संतुलन बिगाड़ दिया था। मां ने भी कभी उसे स्नेह नहीं दिया।

यहां तक कि पड़ोसियों ने भी उसे शारीरिक और यौन शोषण का शिकार बनाया। गारावितो ने 16 साल की उम्र में घर छोड़ दिया और फिर कभी लौटकर नहीं आया। उसने छोटी-मोटी नौकरियां कीं, लेकिन उसके भीतर जो क्रूरता भरी थी, वह धीरे-धीरे बढ़ती गई। गारावितो ने ऐसे मासूम बच्चों को निशाना बनाना शुरू किया, जो गरीब और बेसहारा थे। वह उन्हें पैसों या खाने-पीने की चीजों का लालच देकर फंसाता और फिर उनके साथ दुष्कर्म और हत्या करता।

शहर से अचानक लापता होने लगे बच्चे 1990 के दशक में कोलंबिया के विभिन्न शहरों से एक के बाद एक बच्चे लापता होने लगे। गारावितो ने 1994 से लेकर 1999 तक लगभग 172 बच्चों की हत्या की, जिनकी उम्र 8 से 16 साल के बीच थी। इन वारदातों को अंजाम देने के लिए वो कभी भिखारी बनकर, तो कभी गरीब आदमी बनकर बच्चों के पास जाता। वह बच्चों को पहले बहलाता, फिर उनका यौन शोषण करता और अंत में उनकी हत्या कर देता।

गारावितो का पैटर्न हमेशा एक जैसा था। जिन बच्चों की लाश मिलती, उनकी गर्दन काटी जाती थी और शरीर पर प्रताड़ना के निशान होते थे। गारावितो का क्राइम उस समय तक छिपा रहा, जब तक कि पुलिस को कई जगहों पर एक साथ कई लाशें नहीं मिलीं। 1999 में जब पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि ये सभी अपराध एक ही आदमी द्वारा किए गए हैं।

कैसे पकड़ा गया ये शैतान पुलिस ने गहन जांच शुरू की और धीरे-धीरे गारावितो के खौफनाक अपराधों की परतें खुलने लगीं। लुइस अल्फ्रेडो गारावितो को पुलिस ने अप्रैल 1999 में गिरफ्तार किया था। उसे एक लड़के ने, एक बच्चे के साथ दुष्कर्म की कोशिश करते हुए देख लिया था। जब उस लड़के ने गारावितो पर हमला किया तो वह भागने लगा। पुलिस को इस घटना की जानकारी मिली और उन्होंने उसे जंगल से पकड़ लिया।

साल 1999 में पुलिस के हाथों गिरफ्तार होने के बाद गारावितो ने खुद स्वीकार किया कि उसने 140 से ज्यादा बच्चों के साथ दुष्कर्म और उनकी हत्या की। उसकी गिरफ्तारी से पहले पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि वो अपराधी को पहचान ही नहीं पाई थी, लेकिन लाशों की बढ़ती संख्या और एक जैसे पैटर्न ने आखिरकार उन्हें उस हैवान के करीब लाकर खड़ा कर दिया।

डायरी में लिखता था बच्चों की संख्या गारावितो ने गुनाहों की एक लंबी लिस्ट दिखाते हुए अपने सभी अपराध कबूल किए। उसकी डायरी में काले अक्षरों में 140 मासूम जिंदगियों के खत्म होने की कहानी लिखी थी। इसके बाद की कहानियां लिखने से पहले ही पुलिस ने उसे धर दबोचा। उसका कबूलनामा कोलंबिया के लिए एक दहशत के रूप में सामने आया। अदालत ने गारावितो को 50 से अधिक लंबी सजाएं सुनाईं, जो कुल 1853 साल की थीं।

कोलंबिया में किसी इंसान को सुनाई गई ये सबसे लंबी सजा थी। हालांकि, कोलंबिया के कानून के तहत किसी भी अपराधी को 40 साल से ज्यादा जेल में नहीं रखा जा सकता था। गारावितो ने जेल में खुद को एक सामान्य कैदी की तरह रखा। उसने न तो कभी किसी के साथ झगड़ा किया और न ही किसी नियम का उल्लंघन किया। साल 2021 में अचानक यह खबर आई कि उसे अच्छे व्यवहार के आधार पर जल्दी रिहा करने की सिफारिश की गई है।

रिहाई की खबर से कांप गए थे लोग यह खबर आग की तरह फैल गई। देशभर में आक्रोश भड़क उठा। लोगों के जख्म फिर से हरे हो गए। एक ऐसा अपराधी, जो मासूमों का हत्यारा था, उसे फिर से आजादी देने की बात हो रही थी। कोलंबिया के राष्ट्रपति इवान ड्यूके ने इस प्रस्ताव की कड़ी निंदा की थी। उन्होंने गारावितो को ‘दरिंदा’ कहकर उसकी रिहाई गलत बताया। उन्होंने साफ-साफ कहा कि यह सरकार कभी भी ऐसे शख्स को आजाद करने का समर्थन नहीं करेगी।

हालांकि, कानूनी प्रक्रिया के तहत जेल प्रशासन ने गारावितो की रिहाई के लिए सिफारिश की थी, लेकिन एक जज ने यह याचिका खारिज कर दी। कारण था कि गारावितो ने पीड़ितों के परिवारों को करीब 41,500 डॉलर का जुर्माना नहीं चुकाया था, जो उसकी सजा का हिस्सा था। 12 अक्टूबर 2023 को उसकी मौत हो गई। कोलंबिया की जनता और दुनिया के लोगों के लिए यह सवाल आज भी बना हुआ है कि क्या किसी ऐसे दरिंदे को रिहाई का हक मिलना चाहिए, जिसने इतने बच्चों की निर्दयता से जान ली हो?

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