
आखिरकार साढ़े पांच महीने बाद कोरोना के खौफ के बीच देवभूमि हिमाचल की शक्तिपीठों और प्रमुख मंदिरों के कपाट कड़ी सुरक्षा के बीच खोले गए। मंदिर खोलने का समय जारी किया गया था, लेकिन श्रद्धालु घंटों पहले ही पहुंच गए थे। श्राद्ध और कोरोना के चलते श्रद्धालुओं की संख्या कम ही रही, लेकिन गुरुवार को पहले ही दिन रौनक लौटना शुरू हो गई है। मंदिरों में पंजीकरण, स्क्रीनिंग, सैनिटाइजेशन के बाद ही श्रद्धालुओं को प्रवेश कराया गया। हालांकि, न ही मंदिरों में घंटियां बजीं और न ही जयकारे लगे। कांगड़ा जिले के शक्तिपीठों ज्वालाजी देवी, बज्रेश्वरी देवी और चामुंडा देवी में पहले दिन श्रद्धालुओं की संख्या बेहद कम रही। बज्रेश्वरी मंदिर में मात्र 60 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। चामुंडा देवी मंदिर में पूरा दिन 40 श्रद्धालु आए। ज्वालाजी देवी मंदिर में 349 भक्तों ने दर्शन किए।
गुरुवार को 12 बजे नंदीकेश्वर धाम चामुंडा मंदिर के कपाट खोले गए। इससे पूर्व एसडीएम धर्मशाला एवं मंदिर सहायक आयुक्त डॉ. हरीश गज्जू और मंदिर अधिकारी अपूर्व शर्मा ने मुख्य गेट से मां चामुंडा की विधिवत पूजा-अर्चनाकर क्षमा प्रार्थना की। छह माह बाद मंदिर खुलने पर मंदिर में शांति हवन किया। ऊना से आए दंपती नरेश और उनकी पत्नी ने बताया कि वे ज्वालाजी में हर माह दर्शनों को आते थे। वे सुबह 6 बजे यहां पहुंचे। उन्होंने नौ बजे तक कपाट खुलने का इंतजार किया और सबसे पहले दर्शन किए।
श्री नयना देवी जी में सुबह आठ बजे मंदिर का मुख्य द्वार खोला गया। इससे पहले मंदिर अधिकारी हुस्न चंद, मुख्य पुजारी अमित कुमार, रमण कुमार और मुकेश कुमार ने विधिवत रूप से मां नयना की पूजा-अर्चना की।
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